The Drunk Poets Society
Monday, September 5, 2011
सुन ले ए खुदा
अपने बन्दों की रजा
मंदिरों और मस्जिदों में ये ढूंढे हैं तुझे
तू रहता है कहाँ
सुन ले ये दुआ
अब आ भी जा
इन भींगी पलकों में
इंतज़ार की हो गयी इन्तेहाँ
बुझ गयी लौ प्यार की
खून का दरिया है बहा
भूल गए तेरे बन्दे तुझे
अब आ भी जा
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